लोकसभा में अपराधीक कानून से जुडे तीन विधेयक (Three Criminal Law Bills Passed) लाये गये। भारतीय न्याय संहिता २०२३

डिजीयुगंधरा (DgYugandhara)
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लोकसभा में अपराधीक कानून से जुडे तीन विधेयक (Three Criminal Law Bills Passed) लाये गये। भारतीय न्याय संहिता २०२३.

देश मे इतिहास बन रहा है। मोदी सरकारने देश के न्यायीक व्यवस्था मे नये कानूनों को लाके नया इतिहास बनाया है।   देश में गुलामी के कानून से आज मुक्ती मिली है। पीएम मोदी कही बार कहं चुके थे,  की गुलामी के निशानो को देश से हटाना है और गृहमंत्री अमित शहाणे संसद मे इस बात को लेकर,  नये तीन विधेयक (Three Criminal Law) पेश किये है।  अब भारत की कानुन  व्यवस्था पुरी तरह से बदल जायेगी।  इस बारेंमें डिजीयुगंधरा न्युज DgYugandhara news के द्वारा आपको  खुलासा करते है। 


"डिजीयुगंधरा न्युज DgYugandhara news" नई दिल्लीः दिनांक १२ डिसेंबर २०२३ को ग्रुहमंत्री अमित शाह ने कानून के तीन विधेयक पेश किये। इंडियन पिनल कोड IPC धारा १८६०, जो अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे थे,  उसकी जगह आज भारतीय न्याय संहिता २०२३ को लाया गया है।  क्रिमिनल प्रोसिजर कोड CRPC १९७३ के जगह, अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ को लाया गया है और इंडियन एव्हिडन्स ॲक्ट १८७२ की जगह भारतीय साक्ष अधिनियम २०२३ को लाया गया है। इन तीनों कानूनी व्यवस्था ओंको अब बदल दिया गया है और तीन नये विधेयक (Three Criminal law) लाये गये। उसके पहिले अग्रेजों की जमाने में ये सभी कानून   दंड की व्यवस्था से बनाये गये थे, न्याय की व्यवस्था से ये सुसंगत नही थे और दंड को ही न्याय माना गया था, क्योंकि वो ब्रिटिश राज था।  अब भारतीयोंके हक में, नये काणुनी विधेयेकोंमे सुझाव के साथ बदलाव किये गये है।


IPC  में ५११ धाराये हुवा करती थी,  अब भारतीय न्याय संहीता, BNS २०२३ में   ३५८ धारा की गई  है।  BNS २०२३  मे अब २१ नये अपराध जोडे गये है। और   ४१ अपराधो मे कारावास की सजा बढाई दी गई है।  ८२  अपराधो मे जुर्माना बढाया गया। पच्चीस अपराधो मे अनिवार्य न्यूनतम सजा बनाई गई  है । अनेक अपराधो मे कम्युनिटी सर्विस का दंड जुडा गया है। उन्नीस धारा को पूरी तरह से खत्म किया गया है ।


इसी तरह से  क्रिमिनल प्रोसिजर कोड (CRPC)  में भी बदलाव किये गये है।  CRPC में ४८४ धाराएं हुआ करती थी। अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)  में ५३१ धारायें की गई है,  जिसमे १७७ धाराओं में बदलाव किया गया और ९ धाराएं नयी जोडी गयी।  किसी धाराओं में सब सेक्शन जोडे गये और ४४ प्रोविजन जोडी गयी। ३५ सेक्शन में टाइम लाईन जुडी गई है। और १४ धारा ओं  को BNSS से हटाया गया है।


पहिले एव्हिडन्स ॲक्ट १८७२ में  ७६ धारायें हुआ करती थी, अब भारतीय साक्ष अधिनियम २०२३ में १७० धरायें की गई है।२४ में बदलाव किया गया है। और दो नयी धारा, उपधाराये जोडी गयी है। छे धारावों को उससे हटाया गया है। अंग्रेजों की जमाने में बनाये गये ये कानून अंग्रेजों को भारत पर राज्य करने के इरादोंसे बनाये गये थे । और अभीतक वोही काणुन चलतें आये थें। जो भारतीयों को अनुकुल नही थे, ऐसें जानकरोंका केहना है।   अंग्रेजों की प्राथमिकता उनकी सरकार चला ने में थी। सरकारी खजाने को सुरक्षित करना था।  भारतीयों में होणे वाले बंड को तोडना था। इसीलिए ये सब कानून उन्होने बनाये थे और सभी कानून को मोदी सरकार के काल में अब २०२३ से बदल दिया गया है। 


अब इन्ही   कानून में महिलाओं की सुरक्षा, बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता से बदला गया है। नये कानून में सबसे पहले महिला और बच्चों को लेकर जो अपराध होते है, उन्हे सबसे पहले प्राथमिकता दी गई है। कि इन अपराधो मे अपराधीयोंको सजा होनी है।


नये कानून (Criminal law) में महिला और बच्चों को लेकर जो अपराध होते है उनको सबसे पहले प्राथमिकता है,   उसके बाद मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले विषयोंपर ध्यान दिया   गया है। उसके बाद देश की सीमाओंके विषयोंको भी प्राथमिकता दि गई और  उसके बाद तीनो सेना  के संबंधित विषय के अपराधों को जगह दी गई है। फिर   इलेक्ट्रान अपराध का विषय आता है। सीक्के, नोट, सरकारी स्टॅम्पो के साथ छेडछाड करने के अपराधों को भी लिया गया है।


भारतीय न्याय संहिता २०२३ में और भी बदलाव किये गये है जिसमे राजद्रोह के लिये धारा १२४ए होती थी, उसकी जगह धारा १५० कर दी गई है। अब राजद्रोह नही रहेगा, क्योकी राजद्रोह के जगह धारा १५० यानीं उसेही देशद्रोह माना जायेगा। देश की संप्रभुता, एकता को खतरे मे डालने से देशद्रोह लगेगा।   


अब हत्या के केस के लिए धारा ३०२ को बदलकर १०१ किया जायेगा।   और    माँब लिंचिंग के लिये पहेले अलग से कोई भी धारा नही थी, अब धारा ३०४ लगेगी। व्यपहरण के मामले में पहिले धारा ३६० थी अब उसके जगह धारा १६७ की गयी है। बलात्कार के लिए ३७६ होती थी अब धारा ६३ कर दी गई है। धोकाधडी के लिए पहिले धारा ४२० होती थी, अभी ३१६ कर दी गई है। इसतरह सरकारने न्याय व्यवस्था को गंभीरतासे लेकर तोनों कानून में बदलाव लाये है।


डिजीयुगंधरा न्युज DgYugandhara news को मिली जानकारीसे, इन तीन कानून (Three Criminal law) के बदलाव के लिए मोदी सरकारने विविध जगह से सुझाव मांगे थे, अगस्त २०१९ मे इन तीन विदेयकों के लिए सुझाव मागणे की प्रक्रिया शुरू हो गई थी, सभी राज्यपाल, एलजी, मुख्यमंत्रीओंसे सुझाव मांगे गये थे। जनवरी २०२० में सभी बार कौन्सिल अध्यक्ष, सभी चीफ जस्टिस और लाँ युनिव्हर्सिटी से भी सुझाव मांगे गये थे। २०२० में सभी विधायकोंसे   सुझाव मांगे गये थे। और २०२१ मे सभी सांसदो सें सुझाव मांगे गये थे, इसी के साथ २०२१ मे ही सभी IPS,  कलेक्टर्स से सुझाव मांगे गये थे,   कुल मिलाकर सरकार के पास ३२०० सुझाव और सिफारिशे आई थी इन सभी स्थरों   पर विस्तार से चर्चा हुई थी। ११ ऑगस्ट २०२३ मे तीनो बिल संसद मे आये, इस संशोधनसे फिर सुझाव आये और    ऊन सुझाव को भी सरकार ने माना और उसके बाद इन तिन्ही विदेयकों  को स्टँडिंग कमिटी के पास भेजा गया, उसके उपर भी चर्चा हुई फिर १२ डिसेंबर २०२३ को तीनों विधेयक संसद में फिरसे पेश किये और अब अंत में उन्हे देश के कानून तथा न्याय व्यवस्था में शामील किया जायेगा। उसका मतलब, अब देश के न्याय व्यवस्था को भी सरकारने गंभीरतासे लिया है। 

डिजीयुगंधरा न्युज DgYugandhara news द्वारा प्रकाशित.


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